October 6, 2025

लट्ठबाजो को समाज से खदेड़ने की है जरूरत

देश को आजाद हुए सत्तर वर्ष से अधिक हो गए लेकिन आज भी निम्न दर्जे की समाज का जातिवर्ग गुलामी की जिंदगी जीने को मजबूर है। छोटे स्तर के व्यक्ति में समझ और शिक्षा का आभाव होता है, उसी का फायदा समाज मे जमे बैठे लट्ठबाज उठाते है, और उसका जीवन नरक बना देते है, ऐसे तमाम उदाहरण है।

इन लट्ठबाजो की वजह से ही आज समाज का विकास रुका है। लेकिन अब वक्त है की इन लट्ठबाजो को समाज से खदेड़ा जाए, क्यो की यही समाज के विकास का दुश्मन है। ओर जब तक इन लट्ठबाजो को समाज से बेदखल नही किया जाएगा, तब तक समाज का विकास असंभव है।

समाज के विकास का ढोंग करने वाले तमाम लट्ठबाजो ने अपने कैरियर की शुरूआत ही समाजजन की हायकला से करी है। इनकी दुकान भी असहाय ओर नासमझ समाजजन से चलती है। जिनको यह मोटे ब्याज पर राशि मुहैया कराते है और चक्रवर्द्धि ब्याज सहित न लौटने की स्तिथि में घर- मकान-पर कब्जा कर स्वयं समाजजन की जिंदगी भर की कमाई से बेदखल कर देते है। मुझे शर्म आती है ऐसे समाज के ठेकेदारों पर जो समाजसेवा का चोला ओढ़ समाजजन ओर सत्ताधारी राजनेताओ को भ्रमित कर रहे है।

अधिकतर समाजसेवी लट्ठबाजो का अपराध जगत से गहरा नाता होता है। जिसकी धोस मात्र से यह अपना जीवन यापन करते है। और धन अर्जित करते है। बस यही काबलियत होती है लट्ठबाजो के समाज के ऊंचे शिखर तक पहुचने की, जिसका समाज भी विरोध करने में निकम्मा ओर असहाय साबित होता है। यह भी बड़े शर्म की बात है।

में लिखता सिर्फ इसलिए हु की प्रत्येक समाज की नस्ल एवं आने वाली नस्ले कहि गूंगी-बहरी ओर अंधी न रह जाए। अभी भी वक्त है जाग जाओ और अब भी न जागे तो आपकी आने वाली पीढ़ी भी लट्ठबाजो का शिकार होती रहेगी ओर आजादी के बाद भी अपने आप को गुलाम समझेगी साथ ही केवल जिंदा रहने को ही समाज का विकास मानेगी।

समाज को अंधेरे से उजाले की ओर अग्रसित करने के लिए लट्ठबाजो का विरोध समाज स्तर पर होना आवश्यक है। वरना यह अपने मंसूबे पर कामयाब होते जाएंगे। जिसे रोकना अतिआवश्यक है। समाज का विकास करने के लिए बाधित उक्त लट्ठबाजो को हटाना बेहद जरूरी है।

नोट -: उक्त सभी विचार मेरे व्यक्तिगत है। इसका किसी समाज एवं अन्य व्यक्ति से कोई लेना-देना नही है।

किशोर सिंह
स्वतंत्र लेखक एवं पत्रकार
इंदौर/भोपाल (मध्यप्रदेश)