बुरहानपुर के इतिहास को करीब से जानने वाले इतिहासकार का मानना है असीरगढ पर अश्वत्थामा का नियमित आना और भगवान शिव के मंदिर में रोज सुबह ताजा फूल चढाना बिल सही सा लगता है कई धार्मिक किताबों में इसका वर्णन है कई साल पहले एक आदिवासी युवक ने कहा था कि उन्होने अश्वत्थामा को देखा साढे सात फीट की कद काठी सफेद बाल सफेद कपडे और सफेद घोडे पर अश्वत्थामा को उसने देखा और उसकी नजरें भी पूरी तरह से सही सलामत है क्योंकि ऐसा माना जाता है अगर अश्वत्थामा को कोई देख ले और अश्वत्थामा की नजर उसकी नजरों से मिल जाए तो वह अंधा हो जाता है इस घटना के कई सालों बाद उनका असीरगढ किले पर सुबह सुबह जाना हुआ यहां के शिव मंदिर में प्रवेश करने पर नंदी पर तो धूल थी लेकिन शिव मंदिर में ऐसा सफाई थी जैसे अभी कोई यहां से दर्शन करके गया हो और फूल ऐसा अर्पित किया गया था जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता उसके बाद ऐसा फूल नहीं देखा इससे यह प्रतीत होता है कि अश्वत्थामा असीरगढ के शिवमंदिर में रोजाना सुबह सुबह आते है और फूल चढा कर चले जाते है।
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